24) कॉलेज का पहला दिन ( यादों के झरोके से )
शीर्षक = कॉलेज का पहला दिन
समाप्ति की और बढ़ रही इस प्रतियोगिता में अब दिमाग़ पर प्रेशर कुछ ज्यादा बढ़ रहा है , समझ नही आ रहा कौन सी यादों को साँझा किया जाए और कौन सी को यादों की संदूक में ज्यो का त्यों ही रहने दिया जाए
लेकिन अब प्रतियोगिता है तो कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा कुछ यादों को साँझा करना पड़ेगा तो कुछ को अपने सीने में ही रखना पड़ेगा तो आइये चलते है एक ऐसी ही याद को आपके साथ साँझा करने जो कही ना कही आपकी जिंदगी से भी जुडी रही होगी
कॉलेज जाने का सपना हर वो लड़का और लड़की देखते है जिन्हे कुदरत ने स्कूल जाने का मौका दिया होता है, वरना तो स्कूल जाना भी कुछ बदनसीबो की किस्मत में नही होता उनके कांधो पर स्कूल का बस्ता नही बल्कि घर की ज़िम्मेदारियों का बोझ होता है जिसे वो कच्ची उम्र से ही उठाने लग जाते है
मैं बहुत किस्मत समझता हूँ अपने आप को जिसे शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला और विद्या के मंदिर में दाखिला मिल कांधे पर बस्ता टांग कर स्कूल चले हम कहने का मौका मिला
स्कूल की भी बहुत सारी यादें है मेरे पास जिन और वक़्त की धुल चढ़ चुकी है, लेकिन फिर भी समय मिलने पर उन्हे याद कर उस धुल को हटाने का प्रयास करता रहता हूँ
मुझे स्कूल जाना बेहद पसंद था, जहाँ बच्चें रोते हुए स्कूल जाते थे वही मैं स्कूल जाने के लिए रोता था और फिर आखिर कार स्कूल में दाखिला हो ही गया और हम धीरे धीरे नर्सरी से बारहवीं तक पहुंच गए और उसके बाद हमें कॉलेज जाना था
हमने बहुत सारे सरकारी और गैरसरकारी संस्थान में दाखिले के लिए आयोजित की गयी प्रवेश परीक्षा दी पर उनमे हमें सफलता नही मिली फिर आखिर कार अपने शहर के ही एक सरकारी कॉलेज में दाखिला ले लिए बारहवीं में अच्छे अंक होने की वजह से हमारा नाम पहली लिस्ट में ही आ गया था
जिस बात की ख़ुशी हमें बहुत थी , उसी के साथ साथ हमारी बारहवीं कक्षा के कुछ सेहपाठी भी उसी कॉलेज में दाखिला लेने के लिए फॉर्म भरे थे इसलिए उनका भी नाम शामिल था उस लिस्ट में उन्हे भी अपने साथ कॉलेज में दाखिला लेता देख हमें ख़ुशी हुयी कि चलो कुछ और साल पुराने दोस्तों के साथ निकल जाएंगे
लिस्ट में नाम आने के बाद थोड़ी बहुत फीस और कुछ फॉर्म भरा जिसके बाद हमारा दाखिला पक्का हो गया कॉलेज में
स्कूल के दिनों में हम हमेशा कॉलेज जाने का ख्वाब देखते थे , बडी सी लाइब्रेरी, बडी सी प्रयोगशाला, ढेर सारे बच्चें अनुभवी प्रोफेसर, कॉलेज कि कैंटीन और इन्ही के साथ रैगिंग के बारे में भी
मुझे कॉलेज में रैगिंग से बहुत डर लगता था अक्सर टीवी पर देखा करता था कि किस तरह अमीर बाप के बच्चें मध्यम परिवार के बच्चों के साथ रैगिंग के नाम पर अश्लील हरकते करते है , जिसके बाद उस कॉलेज पढ़ने गए बच्चें कि जिंदगी पल भर में बिखर जाती है फिर चाहे वो लड़का हो या लड़की
जितना हमें डर लग रहा था खुदा का शुक्र था कि हमारे कॉलेज में ऐसा वैसा नही हुआ, बल्कि हमने तो बहुत सारे नये दोस्त भी बनाये और क्लास भी अटेंड कि और लंच टाइम में कैंटीन में खाना भी खाया अपने नये और पुराने दोस्तों के साथ
और फिर घर आ गए उसके बाद पता ही नही चला कब दिन चले गए कॉलेज के और देखते देखते तीन साल पूरे हो गए और कॉलेज छोड़ना पड़ा लेकिन आज भी कॉलेज में बिताये लम्हें एक सुनहरी याद बन कर हमारे दिल में कैद है
ऐसी ही अन्य याद गार लम्हें को आपके साथ साँझा करने के लिए जल्द हाजिर हूँगा जब तक के लिए अलविदा
यादों के झरोखे से
Abhilasha deshpande
15-Dec-2022 10:03 PM
Nice
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Sachin dev
15-Dec-2022 06:15 PM
Nice 👌
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